राजस्थान की संस्कृति - एक गीत
वो संस्कृति जिसका इतिहास इतिहास से भी बड़ा कहलाए।
वो संस्कृति जो मूरझे फूलो को भी खिलाएं।
वो संस्कृति जिसे देख स्वर्ग के देवता भी शरमाए।
वो संस्कृति जो उठते जागते को भी भरमाए।
वो संस्कृति जिसका नाम सुन महान भी चले आए।
वो संस्कृति जिसकी पहचान उसके परिधान से हो जाए।
वो संस्कृति जिसका नाच-गान मन झूम उठाए, रोते को हंसा जाए, दुखी को खिला जाए।
वो संस्कृति जिसके गुणगान कह न जाए।
वो संस्कृति जहां के कण कण भी अपनी धरा पर प्राण न्योछावर किए जाए।
वो संस्कृति जिसे वीरों के रक्त की लालिमा चमकाएं।
ऐसी संस्कृति म्हारी राजस्थानी री कहलाए।
राजस्थानी री कला कहीं देखी नहीं जाए।
बणी-ठणी ज्यान की शैली कड़े ढूंढ़ी नही जाए।
ई रा लोकदेवता चमत्कारिक महापुरुष कहलाए।
ई री लोक देवतियां रो बलिदान कड़े सुन्यो नही जाए।
अड़े संत पीपा धन्ना ज्यान भक्ति का रूप आया।
ई रा घुडला घूमर भवाई मोड़ा मन भर जाए।
रावणहत्था सारंगीं झांझ नगाड़ा भक्ति भर लावे।
बोर नथनी बाजूबंद राखड़ी नारिया ने चमकावे।
ई रा ध्वज ध्वज लोगा ने ऊँचों ऊँचों उठावें।
ई रा वीर परताप पन्ना देशहित में बलि चढ़ जावे।
ऐसो महान देश ने मैं माथो भेट चढ़ावां।
ई रो गुणगान मैं गावा ईने आगे मैं ही बढ़ावा।
ऐसा महान संस्कृति रा देश भारत ने नमन करावां।
बणी-ठणी ज्यान की शैली कड़े ढूंढ़ी नही जाए।
ई रा लोकदेवता चमत्कारिक महापुरुष कहलाए।
ई री लोक देवतियां रो बलिदान कड़े सुन्यो नही जाए।
अड़े संत पीपा धन्ना ज्यान भक्ति का रूप आया।
ई रा घुडला घूमर भवाई मोड़ा मन भर जाए।
रावणहत्था सारंगीं झांझ नगाड़ा भक्ति भर लावे।
बोर नथनी बाजूबंद राखड़ी नारिया ने चमकावे।
ई रा ध्वज ध्वज लोगा ने ऊँचों ऊँचों उठावें।
ई रा वीर परताप पन्ना देशहित में बलि चढ़ जावे।
ऐसो महान देश ने मैं माथो भेट चढ़ावां।
ई रो गुणगान मैं गावा ईने आगे मैं ही बढ़ावा।
ऐसा महान संस्कृति रा देश भारत ने नमन करावां।
कोटि कोटि प्रणाम
बोलो जय जय राजस्थान।
- आकाश लक्षकार
*All photos are copyrighted.






